SAITUNIK
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वतन के नौजवान वतन के लोगों
आँखें खोलो जी भर जी लो
इस पावन धरती की मिटटी से
अपने तन मन को भिगो लो
यह वही भूमि है
जिसने तुमको जन्मा है
यह वही माँ है
जिसने तुमको पाला है
इस माँ का सम्मान करो
इस माँ का सम्मान करो
ए मेरे देश भक्त सिपाहियों
तुमने तन मन अर्पित किया है
यह कर्ज है हम पर तुम्हारा
तुमने अपने को भूलकर
पूरा किया है सपना हमारा
तुम्हारा यह कर्ज है
हर भारतवासी पर
तुम्हारा यह जूनून फर्ज है
हर हिन्दुस्तानी पर
वतन के नौजवानो
वतन के सिपाहियों
सलाम है तुम्हें दिलोजान से
वतन के नौजवानों
वतन के सिपाहियों
शत शत नमन है
तुम्हें दिलोजान से
कवयित्री – मीता गोयल
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