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भारत की मिटटी में पैदा होने वाले हम सभी लोग जिनका धर्म है इस पावन भूमि की रक्षा करना मैंने इन लोगों को तीन वर्गों में बाँटा है एक वो जो जी जान से भारत की सीमा पर खड़े होकर अपना तन मन न्योछावर करते हुए इस मातृभूमि की रक्षा करते हैं दूसरे वो जो कुर्सी पर बैठ देश को बनाने की बजाय उसे खोखला कर रहे हैं और तीसरे हम जैसे नागरिक जो इन दोनों तरह के लोगों को किसी मैच में बैठे मूक दर्शक की तरह कभी दाँए देखते हैं तो कभी बाँए पहली टीम को देखकर सराहना करते हैं और दूसरी टीम को देखकर उलाहना करते हैं दोनों टीमें सफेदपोश हैं एक सफेदपोश टीम जो सियाचिन की बॉर्डर पर खड़ी है जिसमें वीर ही वीर हैं हर पल अपनी जान इस देश को देने के लिए हर पल शहीद होने की तमन्ना दिल में रखे हुए बर्फ की सिल्लियों के नीचे दबकर भी उफ़ न करते हुए ये सफेदपोश मुझे पसंद हैं मैं इनका सम्मान करती हूँ इनकी जगह मेरे दिल और दिमाग में है दूसरी ओर सफेदपोश टीम जो खादीके कपड़े पहने हैं परन्तु बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं संत्रियों से घिरे रहते हैं ये सफेदपोश कुर्सी की चमक से प्रभावित हैं जिन्होंने अपनी अंतरात्मा को एक कोने में दबा दिया है जिनका एक ही मकसद है पैसा ,रुपया ,डॉलर विदेशी बैंक में इनकी तिजोरियाँ भरी हुई हैं ऐसे सफेदपोशों को हम ही अधिकार देते हैं इस देश की कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने का .
उठो ,जागो मेरे हिन्दुस्तानी भाईयों और बहनों कुर्सी पर बैठे इन सफेदपोश मंत्रियों और सियाचिन लद्दाख पर तैनात उन सफेदपोश वीरों के बारे में सोचिए कितना अंतर है दोनों की सोच में आप किसे अपना मत देंगे उन्हें जिन्हें हमने अपने दिल में बैठाया है या उन्हें जिन्हें हमने अपने सिर पर बैठाया है एक हैं भारत के वे वीर जो हर समय बॉर्डर पर देश की रक्षा करते हुए मौत से जूझते रहते हैं और दूसरे हैं वे जो भारत की प्रजातंत्र प्रणाली से खिलवाड़ करते अपनी सत्ता की ताकत का गलत इस्तेमाल करते हैं ये और कोई नहीं है ये है हमारे अपने …………… ढीठ मंत्री
लेखिका – मीता गोयल
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