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अजीब सी है ये भूख ……..

SAITUNIK
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अजीब सी चीज है ये भूख ! जब लगती है तो सोचने समझने की शक्ति खोने लगती है भूख कैसी भी हो आदमी भूख के इशारे पर नाचता है शरीर में जो हमारी इन्द्रियाँ हैं सभी तरह तरह की चीजों की भूखी हैं जैसे आँखों को अच्छा देखने की लालसा , नाक अच्छी महक की जीभ अच्छे स्वाद की कान मीठी बोली की और त्वचा अच्छे अहसास की इन पाँचो की मुखिया तो जीभ है पूरा दिन अच्छे – अच्छे चटकारों की मोहताज भूख पैसों की भी होती है लालची और तंगदिल कंजूसों को पैसे कमाने और बचाने की भूख कभी कभी इस तरह की भूख लालच का रूप ले लेती है जैसे एक मंत्री को कुर्सी का लालच एक नौजवान को गलत राह पर चलने के लिए मजबूर करते हुए पैसा जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा कमाने की लालसा या भूख
शरीर को हर तरफ से संतुष्ट करने के लिए हमें हर तरह की भूख होती है कुछ इस पर नियंत्रण पा लेते हैं और कुछ इस भूख को संतुष्ट करने में लगे रहते हैं शरीर की भूख सबसे खतरनाक होती है जो गलत कदम उठाने पर जिंदगियों को बर्बाद कर देती है आज कल हमारा समाज बर्बादी के गर्त में गिरता जा रहा है शारारिक भूख कुछ लोगों ने अपने दिलो दिमाग पर हावी कर ली है यह हवस है जो लोगों को अपना शिकार बनाती है एक वृद्ध एक पाँच साल से भी कम उम्र की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाता है कहाँ जा रहे हैं हम कहाँ जा रहा है हमारा समाज कहाँ हैं हमारे संस्कार ? यह भूख यह हवस हम सभी को कहीं बर्बाद न कर दे हमें इन सबके लिए सख्त कदम उठाने पड़ेंगे
यह बात नहीं कि भूख हमेशा गलत रास्ते पर ले जाती है भूख कभी कभी मासूमियत का चेहरा भी दिखाती है जैसे एक मासूम बच्चे को अपनी माँ के प्यार की भूख एक प्रेमिका को अपने प्रेमी से मिलाने की भूख एक विद्यार्थी को ज्ञान अर्जन करने की भूख माता पिता से दूर बच्चों को उनसे मिलने की भूख
भक्त को भगवान से मिलने की चाह भी तो एक तरह की भूख है भक्त अपने भगवान के दर्शन पाना चाहता है और अपनी इन्द्रियों को तृप्त करना चाहता है अपने जन्म को सफल बनाना चाहता है यह आध्यात्मिक भूख उसे उस राह पर ले जाती है जहाँ पहुँच कर उसे इस मोहमाया रूपी संसार से विरक्ति मिलती है और वह उस परब्रह्म परमेश्वर में लीन हो जाता है
अब मैं अपने बारे में बताती हूँ हाँ मुझे भी इस संसार में कुछ चीजों की भूख है मेरी सबसे बड़ी भूख है उस परम परमेश्वर भगवान की कृपा और उनके आशीर्वाद की उन्हीं के आशीर्वाद और कृपा से मैं आज यहाँ तक पहुँची हूँ इस भूख को अपने जीवन का मकसद बना कर जीना चाहती हूँ जीवन के मीठे और कड़वे अनुभवों से मैंने यह जाना कि सबसे बड़ी और सबसे अच्छी भूख उस ईश्वर को पाने की है क्योंकि अगर आप वहाँ तक पहुँच गए तो आपकी बाकी सभी जरूरतें तो वह प्रभु अपने आप ही पूरी कर देगा
लेखिका – मीता गोयल

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