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माँ शब्द बहुत कुछ कहता है याद दिलाता है उन खट्टी मीठी यादों की जो हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है प्यार करना , लाड़ करना ,कहानियाँ सुनाना ,डाँटना , लोरी सुनाना बीमार होने पर तीमारदारी करना माँ का ही तो काम है सभी माँ ये काम करती भी हैं अपना पूरा जीवन देकर बच्चों को पालना पोसना अच्छा सेहतमंद भोजन देना माँ का ही तो काम है परन्तु हर बच्चा नसीब वाला नहीं होता कुछ बच्चे भाग्य की क्रूरता के शिकार हो जाते हैं और माता पिता का साया उनसे दूर हो जाता है आजकल की मॉर्डर्न माँ के तो क्या कहने सुपर वूमेन शब्द भी इस माँ के लिए काफी नहीं क्या क्या नहीं करती आज की माँ सजना सँवरना अपने फिगर को ध्यान में रखते हुए जिम जाना ऑफिस का काम घर का काम शॉपिंग बच्चों की देखभाल पति की साथ डिस्को बॉस की लिए डिनर तैयार करना उफ़ उफ़ उफ़ ……..!! काम की कोई सीमा नहीं चौबीस घंटे भी काम है आज की नारी की लिए ओह …माफ़ कीजिए आज की आधुनिक नारी की लिए सब कुछ एकदम टिप टॉप हर काम परफेक्ट होना चाहिए परन्तु इन सभी कामों में कहीं न कहीं बच्चे पीछे छूट जाते हैं जल्दबाजी में या ये कहिए समय की अभाव में चिप्स बिस्कुट चॉक्लेट कोक से बच्चों का पेट भर दिया जाता है यह कहकर कि बच्चे जिद्दी हैं परन्तु वास्तविकता है समय की कामे नो टाइम
कहीं हम दौड़ लगाने की इस स्पर्धा में बच्चों का भविष्य तो हम दाँव पर नहीं लगा रहे कहीं हमारे बच्चे इन सभी चीजों की इतने आदी तो नहीं हो गए कि फल सब्जियों की गुणों को नजरअंदाज करने लगे हों आल स्कूलों में भी बच्चों को शारारिक व्यायाम से ज्यादा पढ़ाई का जोर है हर वक्त होमवर्क और ट्यूशन मेरी आज की आधुनिक माँ अपने बच्चों को हर तरह की ट्यूशन भेजती है परन्तु संस्कारों की ट्यूशन उन्हें कौन देगा कौन इन्हें दिखाएगा देश प्रेम का रंग हमारे असली भारत का रंग आधुनिकता अच्छी बात है परन्तु आधुनिकता की साथ साथ आजकल स्वार्थपरता भी लोगों के दिलोदिमाग में घर कर गयी है हमारी ये नई पीढ़ी कहाँ जा रही है क्या कमी रह गयी है कहाँ ये कमी रह गयी है इन सभी बातों को हमें सोचना समझना होगा क्योंकि हम तो अपना आज जी लेंगे परन्तु आने वाले कल का क्या ………? ? ?
लेखिका – मीता गोयल
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