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जा रहे हैं हम कहाँ …..? ?

SAITUNIK
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आधुनिकता के इस दौर में
भाग रहे हैं हम यहाँ वहाँ
बच्चा बूढा या हो जवान
हम सभी यहाँ हैं परेशान
नारी बन गयी है मॉर्डर्न माँ
पिता बना है एक मशीन
मशीन जो छापती है नोट
हरे – हरे और कड़क नोट
नोटों की बरसात में हैं
सभी भीगे और सभी डूबे
कहाँ जा रही है माँ की ममता
कहाँ जा रही है इंसानियत
एक दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़
एक दूसरे को तोड़ने की होड़
बने गए हैं यहाँ स्वार्थी सभी
बच्चों का तो बुरा है हाल
माता पिता को तो सिर्फ देखते हैं
महसूस तो करते हैं अपनी आया को
आया जो रखती है उनका ध्यान
उन मासूमों का जो भारत की हैं शान
भारत के भविष्य ,भारत के नौनिहाल
लड़ रहे हैं अपने वर्त्तमान से
भागती दुनिया और भागते पालकों से
क्या हो गया है आज के समय को
समय जो न कभी रुका है और
न कभी झुका है किसी के लिए
आधुनिकता के इस दौर में
भाग रहे हैं हम यहाँ वहाँ
आधुनिकता के इस दौर में
जा रहे हैं हम कहाँ कहाँ
कवयित्री – मीता गोयल

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