SAITUNIK
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तपती धरती पर पड़ी जब पानी की बूँदें
लगा जैसे धरती ने बघार लगाया हो
मिटटी की सौंधी सौंधी खुशबू से
महक उठा धरती का कोना कोना
ठंडक का अहसास पाते ही
झूम उठी सब दिशाएँ
मानसून की ये पहली बारिश है
अपने साथ राहत सुकून और ठंडक लाई है
वही गाँव है वही शहर है वही गलियाँ न्यारी
किन्तु मौसम बदलते ही बदल जाते हैं ये सारे
ठन्डे ठन्डे हवा के थपेड़ों ने मन मोह लिया
भीनी भीनी खुशबू ने मन जीत लिया
अब आया है मौसम बारिश का
लाया है अपने साथ खुशियाँ बेशुमार
देखो आई बारिश देखो आई बारिश
गया गर्मी का जंजाल
हर तरफ हरियाली और खुशियाँ है बेशुमार
कवयित्री – मीता गोयल
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