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मैं हूँ तो एक छोटा सा बच्चा
पर बनना चाहता हूँ बहुत बड़ा
उड़ना चाहता हूँ आसमान में
छूना चाहता हूँ पर्वत शिखरों को
नहीं हूँ मैं डरता जीवन की कठिनाइयों से
नहीं जानता हूँ आगे आने वाले भविष्य को
पर साहस हिम्मत से बढ़ाता हूँ अपने कदम
माँ का आशीर्वाद साथ लिए हर पल चलता हूँ
जीवन के इस युद्ध मैं जीतना चाहता हूँ
मैं हूँ तो एक नन्हा सा बालक
परंतु सपनों की बारात लिए चलता हूँ
मैं बनना चाहता हूँ एक सिपाही
देश की रक्षा के लिए जो अपने प्राण झोंक दे
मैं हाँ मैं हूँ एक छोटा सा बालक
पर बनना चाहता हूँ बहुत बड़ा
सियाचिन लद्दाख और हिमालय पर
प्रहरी बन खड़ा रहना चाहता हूँ
एक सिपाही बन देश को बचाना चाहता हूँ
मैं हूँ तो एक छोटा सा बच्चा
परंतु बड़े बड़े काम करना चाहता हूँ
मैं हूँ तो एक छोटा सा बच्चा
परंतु बड़ा नाम करना चाहता हूँ
परंतु बड़ा नाम करना चाहता हूँ …..
कवियत्री – मीता गोयल
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