SAITUNIK
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समझो , समझो , समझो
अपने इस देश को समझो
सागर में उठती लहरों को
दिलों में उठते जज्बातों को
वतनपरस्ती की बहती इस लहर को
देश को आगे बढ़ाने के जुनून को
हाथों में हाथ डालकर आगे बढ़ने को
सोए हुए भारत को जगाने के इस जज्बे को
समझो , समझो , समझो
प्यारे मित्रों , अपने इस देश को समझो
रात की कालिमा दूर हुई
सुबह की उजली किरण ने
छू लिया है सबके दिलों को
हर मन उत्साहित और हर दिल में जोश है
इस वतन की मिट्टी की अलग ही है बात
रंग तो इसका भी धीरे धीरे बदल रहा है आज
इस नए रंग की रंगीनियों में डूब कर आज
देशप्रेम के नशे में झूम कर आज
क्यों न हम इस वतन को नया बनाएँ
चलो मिलकर अपने देश को नए रंगों से सजाएँ
चलो मिलकर अपने देश को नए रंगों से सजाएँ
कवयित्री – मीता गोयल
meetagoel.in
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